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الحكومة الهندية: عليكم تحمل المسؤولية بخصوص العمل اللائق وسلامة الطرق

ساعدونا في إلغاء "قانون الدهس والفرار"

في نهاية عام 2023، أقرت الحكومة الهندية قانوناً جنائياً جديداً (Bharatiya Nyaya Sanhita, BNS)، وهو قانون غير ديمقراطي واستبدادي، وينص أحد بنوده، وهو البند رقم 106(2)، ”قانون الدهس والفرار“ على إيقاع عقوبة السجن لمدة تصل إلى عشر سنوات وفرض غرامات باهظة على السائقين الذين يتورطون في حوادث مميتة ولا يبلغون عنها على الفور.


لا يأخذ "قانون الدهس والفرار" بعين الاعتبار الأسباب الرئيسية لارتفاع معدلات الوفيات على الطرق في الهند مثل: التحميل الزائد للمركبات، والبنية التحتية المتدهورة، وقِدَم المركبات، والضغط الذي يمارسه الشاحنون وشركات النقل على السائقين، والأجور المتدنية وأنظمة الأجور القائمة على الحوافز، وساعات العمل الطويلة، والظروف غير الآمنة، والطبيعة غير الرسمية للقطاع ككل. هذا بالإضافة إلى النقص في آليات الإبلاغ الآمنة للسائقين المتورطين في حوادث لا يمكن تجنبها في كثير من الأحيان. 


انتقدت نقابات عمال الطرق في الهند الحكومة لمحاولتها الظهور وكأنها تتصدى لمشكلة الوفيات على الطرق، بينما هي في الواقع تتنصل من مسؤوليتها في حماية الجمهور، والركاب، ومستخدمي الطرق الآخرين.
 

حققت نقابات عمال النقل البري انتصاراً عندما تم تعليق تطبيق "قانون الدهس والفرار" في الوقت الذي دخلت فيه بقية قوانين العقوبات الهندية حيز التنفيذ في يوليو. ومع ذلك، تخشى النقابات العمالية أن يتم إعادة تطبيق القانون بمجرد أن يتلاشى الاهتمام العام به، بينما تبقى الأسباب الجذرية لظروف العمل السيئة وحوادث الطرق دون معالجة. 
يرجى الانضمام إلى نقابات النقل البري الهندية في دعوتها للحكومة الهندية لإلغاء "قانون الدهس والفرار" بالكامل، وتحمل مسؤوليتها تجاه توفير العمل اللائق والسلامة على الطرق من خلال التعاون مع النقابات العمالية لتحسين الأجور والظروف والمعايير عبر قطاع النقل البري. 
 

يرجى الانضمام إلى نقابات النقل البري الهندية في دعوتها للحكومة الهندية لإلغاء "قانون الدهس والفرار" بالكامل، وتحمل مسؤوليتها تجاه توفير العمل اللائق والسلامة على الطرق من خلال التعاون مع النقابات العمالية لتحسين الأجور والظروف والمعايير عبر قطاع النقل البري. 

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عريضتنا إلى شري أميت شاه، وزير الشؤون الداخلية الهندي، وشري نيتين جادكاري، وزير النقل البري والطرق السريعة الهندي، وشري مانسوخ ل. ماندافيا، وزير العمل والتوظيف الهندي

 

يشعر المجتمع الدولي بقلق بالغ إزاء حالة قطاع النقل البري في الهند وارتفاع معدلات الوفيات على الطرق، والتي تجاوزت 171,000 حالة وفاة في عام 2022. كما يساورنا القلق أيضاً من أن الطابع العام غير الرسمي لقطاع النقل البري، إلى جانب تدهور الأجور وظروف العمل، والحالة السيئة للطرق والمركبات تجعل من المستحيل على سائقي المركبات التجارية العمل بأمان، وبالتالي تعريض حياتهم وحياة المسافرين للخطر. 


نحن نُدرك أن حكومتكم قد حاولت الظهور بمظهر الجدية في معالجة هذه المشاكل من خلال إدراج "قانون الدهس والفرار"، البند رقم (BNS 106(2)) ضمن قانون العقوبات الجديد، "Bharatiya Nyaya Sanhita, BNS". حيث يفرض هذا البند عقوبات شديدة على السائقين الذين لا يبلغون على الفور عن الحوادث المميتة التي يتورطون بها، على الرغم من الطبيعة الحتمية للعديد من هذه الحوادث وعدم وجود قنوات آمنة للإبلاغ. وفي حين أن تنفيذ هذا البند معلق حالياً، إلا أننا ندرك أنه يمكن الشروع في تنفيذه في أي وقت.


إننا نؤكد لكم أن هذا القانون لن يسهم بأي حال من الأحوال في حل المشاكل الهيكلية في قطاع النقل البري التي تؤدي إلى ارتفاع معدلات الوفيات على الطرق، بل على العكس، سيساهم فقط في تفاقم نقص السائقين في الهند. 


وبالفعل، وجد بحث جديد أجراه الـITF أن سائقي الشاحنات الهنود يعملون ما بين 16 إلى 20 ساعة في اليوم، ويحصلون على فترات نوم أو راحة قصيرة للغاية، ومع ذلك فهم يتقاضون أجوراً متدنية تصل إلى 96 يورو شهرياً. كما أنهم يفتقرون إلى مرافق الراحة والخدمات الصحية، وغالباً ما لا يحصلون على عقود عمل رسمية، في حين أنهم يتعرضون لضغوط شديدة من الشاحنين وشركات النقل، وهذا يعني أن هؤلاء السائقين يضطرون إلى السير على الطرقات في حالة من الإعياء والإجهاد، ويقولون إنه في حالة تطبيق البند رقم ((BNS 106(2‏)، فإن الضغوط الإضافية ستجعلهم يتركون وظائفهم ويغادرون هذا القطاع تماماً. 


توضح المبادئ التوجيهية لمنظمة العمل الدولية بشأن تعزيز العمل اللائق والسلامة على الطرق في قطاع النقل أن الحكومات وأصحاب المصلحة في القطاع يتحملون مسؤولية ”حماية الجمهور والركاب ومستخدمي الطرق الآخرين من الحوادث والأخطار التي يمكن تجنبها، بما في ذلك تلك الناتجة عن الافتقار إلى العمل اللائق بالنسبة لسائقي المركبات التجارية“.


إننا ندعو حكومتكم إلى الارتقاء إلى مستوى هذه المسؤولية من خلال إلغاء المادة (BNS 106(2)) بالكامل، والاجتماع مع النقابات العمالية لوضع خطة لمعالجة المخاطر الهيكلية المتعلقة بالسلامة في قطاع النقل البري. وينبغي أن تتضمن هذه الخطة إنشاء نظام لتحديد وإنفاذ معايير عادلة للأجور وساعات العمل وتوفير العقود، الإضافة إلى آلية قوية للتفتيش والتدقيق، والاستثمار في البنية التحتية للطرق، وتجديد أساطيل النقل، وتوفير مرافق الراحة والخدمات الصحية الآمنة والمأمونة.

بالتعاون مع: 

المنصة النقابية المشتركة للعمل اللائق والسلامة على الطرق، الهند

भारत सरकार: सभ्य काम और सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी ले

 

'हिट एंड रन (दुर्घटना कर के भाग जाना) कानून' रद्द करें

2023 के अंत में, भारत सरकार ने एक नई दंड संहिता (भारतीय न्याय संहिता, बीएनएस) पारित की, जो लोकतंत्र के खिलाफ और सत्तावादी है। 'हिट एंड रन कानून' की एक धारा - 106(2) के अंतर्गत वो चालक / ड्राइवर जो घातक दुर्घटनाओं में शामिल होते हैं और तुरंत इसकी रिपोर्ट नहीं करते हैं, उनके लिए दस साल तक की कैद और भारी जुर्माने का प्रावधान है।

‘हिट एंड रन कानून’ भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की उच्च दर के मुख्य कारणों को नहीं पहचानता है: सीमा से कहीं अधिक लदे वाहन, जर्जर बुनियादी ढांचा, पुराने वाहन, ड्राइवरों पर शिपर्स और परिवहन कंपनियों का दबाव, खराब वेतन और प्रोत्साहन-आधारित भुगतान प्रणाली, लंबे समय/घंटों तक काम करना, असुरक्षित स्थितियाँ और इस क्षेत्र की समग्र अनौपचारिकता। इसके अलावा, अक्सर अपरिहार्य (न टलने वाली) दुर्घटनाओं में शामिल ड्राइवरों के लिए सुरक्षित रिपोर्टिंग तंत्र का भी अभाव है। 

भारतीय सड़क व्यापार यूनियनों ने सरकार की इस बात के लिए आलोचना की है कि वह ऐसा प्रतीत करा रही है मानो वह सड़क दुर्घटनाओं की समस्या से निपटने की कोशिश कर रही है, जबकि वास्तव में वह जनता, यात्रियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी से बच रही है।   

सड़क परिवहन ट्रेड यूनियनों को एक बार जीत मिली थी, जब जुलाई में शेष BNS के प्रभावी होने पर 'हिट एंड रन कानून' के क्रियान्वयन को रोक दिया गया था। ऐसा होने पर भी, ट्रेड यूनियनों को डर है कि जब जनता का ध्यान इस ओर से हट जाएगा तो इस कानून को लागू कर दिया जाएगा, जबकि खराब कार्य स्थितियों और सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। 

कृपया भारतीय सड़क परिवहन यूनियनों के साथ मिलकर भारत सरकार से 'हिट एंड रन कानून' को पूरी तरह से निरस्त करने तथा सड़क परिवहन उद्योग में वेतन, स्थिति और मानकों में सुधार के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर सभ्य कार्य और सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी का आह्वान करें। 

 

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हमारी याचिका श्री अमित शाह, भारतीय गृह मंत्री, श्री नितिन गडकरी, भारतीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, और श्री मनसुख एल. मंडाविया को संबोधित है।

 

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत में सड़क परिवहन उद्योग की स्थिति और सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के उच्च स्तर से गंभीर रूप से चिंतित है, जो 2022 में 171,000 से अधिक थीं । हम सड़क परिवहन उद्योग की समग्र अनौपचारिकता और खराब वेतन तथा काम करने की खराब स्थिति से भी चिंतित हैं, वाहनों की खराब स्थिति के कारण वाणिज्यिक वाहन चालकों के लिए सुरक्षित रूप से काम करना असंभव हो जाता है, जिससे उनकी और यात्रा करने वाले लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। 

हम जानते हैं कि आपकी सरकार ने नई दंड संहिता, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में 'हिट एंड रन कानून' (बीएनएस 106 (2)) को शामिल करके इन समस्याओं के समाधान का प्रयास किया है। यह प्रावधान उन चालकों पर भारी जुर्माना लगाता है जो घातक दुर्घटनाओं की तत्काल रिपोर्ट नहीं करते हैं, जबकि इनमें से कई दुर्घटनाएँ अपरिहार्य (न टलने वाली) प्रकृति की होती हैं तथा सुरक्षित रिपोर्टिंग चैनलों का अभाव भी होता है। यद्यपि इस प्रावधान का कार्यान्वयन फिलहाल स्थगित है, फिर भी हम जानते हैं कि इसे किसी भी समय लागू किया जा सकता है। 

हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि यह कानून किसी भी तरह से सड़क परिवहन उद्योग में संरचनात्मक समस्याओं का समाधान नहीं करेगा, जिसके परिणामस्वरूप सड़क दुर्घटनाओं की अधिक दर बरकरार रहेगी। इसकी बजाय, इससे भारत में ड्राइवरों की कमी और बढ़ेगी। 

वास्तव में, आईटीएफ द्वारा किए गए नए शोध में पाया गया है कि भारतीय ट्रक चालक प्रतिदिन 16 से 20 घंटे तक काम करते हैं, उन्हें सोने या आराम के लिए बहुत कम समय मिलता है, फिर भी उन्हें प्रति माह केवल 96 यूरो का भुगतान किया जाता है। उनके पास आराम और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच नहीं है और अक्सर उन्हें कोई औपचारिक रोजगार अनुबंध भी नहीं दिया जाता है, साथ ही उन्हें शिपर्स और परिवहन से अत्यधिक दबाव का सामना भी करना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि ड्राइवरों को थकान और तनाव की स्थिति में सड़कों पर वाहन चलाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उनका कहना है कि यदि बीएनएस 106(2) को लागू किया गया तो अतिरिक्त दबाव के कारण उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी और उद्योग को पूरी तरह से छोड़ना पड़ेगा। 

परिवहन क्षेत्र में सभ्य कार्य और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने पर ILO के दिशानिर्देश यह स्पष्ट करते हैं कि सरकारों और उद्योग हितधारकों की जिम्मेदारी है,  "आम जनता, यात्रियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं को रोके जा सकने वाली दुर्घटनाओं और खतरों से बचाना, जिनमें वाणिज्यिक वाहन चालकों के सभ्य कार्यस्थिति  के आभाव के कारण होने वाली दुर्घटनाएँ भी शामिल हैं।"

हम आपकी सरकार से बीएनएस 106(2) को पूरी तरह से निरस्त/रद्द करके इस जिम्मेदारी को निभाने का आह्वान करते हैं और सड़क परिवहन उद्योग में संरचनात्मक सुरक्षा जोखिमों से निपटने के लिए एक योजना विकसित करने हेतु ट्रेड यूनियनों के साथ बैठक करने का आग्रह करते हैं। इस योजना में वेतन, कार्य समय और अनुबंध प्रावधान के लिए उचित मानक निर्धारित करने और लागू करने के लिए एक प्रणाली की शुरूआत और साथ ही मजबूत निरीक्षण और लेखा-परीक्षण (ऑडिट) मशीनरी, तथा सड़क ढांचा/अवसंरचना, वाहन (फ्लीट) नवीकरण, सुरक्षित विश्राम और स्वच्छता सुविधाओं में निवेश शामिल होना चाहिए। 

 

साझेदारी में: 

सभ्य कार्य और सड़क सुरक्षा के लिए संयुक्त ट्रेड यूनियन मंचभारत